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एक नन्ही परी (कहानी) काल्पनिक

By Digital Life (हिंदी) उत्तर भारत में प्राचीन समय का एक गांव बसा था उस गांव में एक छोटा परिवार था जोकि लोगों की नजरों में ( आदिवासी ) परिवार के रूप में प्रचलित था. हंसी खुशी पूरा परिवार जीवन गुजार रहा था उस परिवार में एक छोटी सी नन्ही परी ने जन्म लिया और उसके माता-पिता बहुत खुश थे दादा दादी चाचा चाची सभी लोग बहुत ही अधिक खुश थे क्योंकि उस परिवार का यह मानना था कि जिस परिवार में लड़की का जन्म होता है भगवान की दया उस परिवार पर सदैव रहती है कुछ दिन के बाद उस परिवार के मुखिया का देहांत हो जाता है और सभी लोग अत्याधिक दुखी हो जाते हैं पर सभी को रामू ( काल्पनिक नाम) ने समझाया किया सृष्टि (संसार) का नियम है जो जन्म लेता है उसका मरण निश्चित है और फिर सामान तौर पर उस परिवार का फिर से गुजर बसर होने लगा कुछ सालों में बिटिया ने स्कूल में दाखिला लिया और वह पढ़ने लगी क्योंकि उस वक्त में पढ़ाई का बहुत महत्व होता था क्योंकि जो समाज से मुन्नी ( काल्पनिक नाम) आती है वह समाज पिछड़ा कहलाता है और उस समाज में कन्या पैदा होना एक अपराााध जैसा माना जाता था और जिस समाज में लड़की पैदा होना अपराध माना जाताा ...

एक नन्ही परी भाग ५

By Digital Life दूसरे समाज के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करें. मुन्नी को जिद करता देख कुछ लोगों ने उसको समझाया कि बेटा हम उस (आदिवासी पिछड़े दलित) समाज से आते हैं जिस समाज को जीने का अधिकार है लेकिन साथ खड़े रहने का नहीं मरने का अधिकार है पर एक श्मशान घाट में (दाह संस्कार) अंतिम संस्कार का नहीं! हमारा संविधान हम लोगों को यह अधिकार तो देता है पर जाति धर्म के ठेकेदारों के हाथ की कठपुतली सा रह गया है! अब मुन्नी को यह समझ में आने लगा कि हमारे समाज को और उजागर करने की जरूरत है और उनका संरक्षण सुनिश्चित करेगी और पिछले समाज को शिक्षा और रोजगार अपने बलबूते पर दिलाएगी... उसने ठान ली की वह आगे की पढ़ाई जारी रखेगी और अपने समाज के लिए अच्छे से अच्छी व्यवस्था करेगी जिससे कि उसके समाज में पढ़े लिखे लोगों की तादाद बड़े (प्रोग्रेस)जिससे कि उनके अधिकारों का कोई हनन ना कर सके उनको यह मालूम होगा कि उनका अधिकार क्या क्या है... ( वहीं से मुन्नी को कुछ कर दिखाने का जज्बा पैदा हुआ )                                     ...

एक नन्ही परी भाग ४

By Digital Life जितनी जल्दी हो सके गांव पहुंच जाए.. मुन्नी बहुत ज्यादा है घबरा गई और वहां गांव पहुंचने का प्रयास करने लगी रात होते-होते मुन्नी गांव पहुंची मुन्नी ने देखा की मां अंतिम सांस ले रही है वाह बहुत दुखी थी मां को भरोसा दिलाने लगी की मां तुझको कुछ नहीं होगा मां परेशान ना हो तुमको कुछ ना होग मुन्नी अभी भरोसा दिलाई रही थी कि मां ने उसकी गोद में दम तोड़ दिया पूरा परिवार इस दुख की घड़ी में एक साथ था! सुबह होते ही अंतिम संस्कार करना था और सुबह होते ही बारिश जोरों की होने लगी प्रथा के हिसाब से दाह संस्कार होना था पर आदिवासी श्मशान घाट में पानी घुटनों तक भर गया था! मुन्नी ने अपने पिताजी से बोला कि बाबा क्यों ना हम दूसरे श्मशान घाट में मां का अंतिम संस्कार कर दें... उस वक्त या नहीं मालूम था कि हमारे समाज में ऊंच नीच जात पात धर्म के नाम पर कुछ भी हो सकता है उसके बाबा ने समझाया कि बेटा हम लोग एक आदिवासी हैं और पिछड़े हैं हमको यह अधिकार नहीं है कि हम दूसरे समाज के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करें.                           ...

एक नन्ही परी भाग ३

By Digital Life पृथ्वी पर जन्म लेकर एक अपराध किया है.. अध्यापिका के आने के बाद जैसे मानव मुन्नी के जीवन में एक नया सपना देखने लगी कुछ कर दिखाने का उसमें अध्यापिका ने भी बहुत साथ दिया और यूं ही कक्षा 5 तक उसकी पढ़ाई चलती रही खुशी-खुशी कब जाना वह बड़ी हो गई पता भी नहीं चला उसकी पढ़ाई और लगन देख माता-पिता भी खुश रहने लगे और इसी दौरान उस गांव में एक संस्था  (NGO) के लोग आए जिन्होंने मुन्नी की पढ़ाई देख उसकी बहुत प्रशंसा की फिर जैसे मानो मुन्नी को किसी ने पंख जैसा लगा दिया| उस संस्था ने मुन्नी को उस गांव से लेकर शहर की और पढ़ने का आवाहन किया और फिर मुन्नी की पढ़ाई शहर में शुरू हुई| अभी पढ़ाई शुरू हुई हुई थी कि मुन्नी गांव से बुलावा आया उसकी मां की तबीयत अत्यधिक खराब है और वह जितनी जल्दी हो सके गांव पहुंच जाए..

एक नन्ही परी भाग २

By Digital Life मुश्किल काम होता था.. खैर जैसे भी हो मुन्नी के माता-पिता ने शिक्षा की व्यवस्था की पर कुछ सालों के बाद पुराने अध्यापक का तबादला हो गया उसके बाद जो नए अध्यापक आए वह शायद ऊंच-नीच जात पात मानते थे उनको मुन्नी से कष्ट होने लगा कि वह एक पिछड़े और आदिवासी निवासी है वह उस छोटी बच्ची से स्कूल की साफ सफाई और पानी लाना इत्यादि कार्य कराने लगे वहां रोज अपने पिता को या बताती कि वह बहुत अच्छे से पढ़ाई कर रही है वह इस स्कूल मैं हुए अभद्र व्यवहार को छुपाने लगी क्योंकि उसको ऐसा लगने लगा कि अगर वह अपने माता-पिता को यह सब बताती तो उसके माता-पिता उसकी पढ़ाई छुड़ा देते वह ऐसा नहीं होने देना चाहती थी! फिर एक दिन उसी स्कूल में एक नई अध्यापिका आई जोकि पिछड़े आदिवासी ही थी| और वाह मुन्नी को देखकर बहुत खुश हुई क्योंकि आज ही की तरह उस वक्त भी पिछड़ों को उसी नजर से देखा जाता था जैसे कि वह पृथ्वी पर जन्म लेकर एक अपराध किया है|                                     Page 2            ...