संदेश

एक नन्ही परी भाग ४ लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक नन्ही परी भाग ४

By Digital Life जितनी जल्दी हो सके गांव पहुंच जाए.. मुन्नी बहुत ज्यादा है घबरा गई और वहां गांव पहुंचने का प्रयास करने लगी रात होते-होते मुन्नी गांव पहुंची मुन्नी ने देखा की मां अंतिम सांस ले रही है वाह बहुत दुखी थी मां को भरोसा दिलाने लगी की मां तुझको कुछ नहीं होगा मां परेशान ना हो तुमको कुछ ना होग मुन्नी अभी भरोसा दिलाई रही थी कि मां ने उसकी गोद में दम तोड़ दिया पूरा परिवार इस दुख की घड़ी में एक साथ था! सुबह होते ही अंतिम संस्कार करना था और सुबह होते ही बारिश जोरों की होने लगी प्रथा के हिसाब से दाह संस्कार होना था पर आदिवासी श्मशान घाट में पानी घुटनों तक भर गया था! मुन्नी ने अपने पिताजी से बोला कि बाबा क्यों ना हम दूसरे श्मशान घाट में मां का अंतिम संस्कार कर दें... उस वक्त या नहीं मालूम था कि हमारे समाज में ऊंच नीच जात पात धर्म के नाम पर कुछ भी हो सकता है उसके बाबा ने समझाया कि बेटा हम लोग एक आदिवासी हैं और पिछड़े हैं हमको यह अधिकार नहीं है कि हम दूसरे समाज के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करें.                           ...